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Deewanon Ki Hasti | Bhagwati Charan Varma
Deewanon Ki Hasti | Bhagwati Charan Varma

Deewanon Ki Hasti | Bhagwati Charan Varma

00:02:21
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दीवानों की हस्ती | भगवतीचरण वर्माहम दीवानों की क्या हस्ती,हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,मस्ती का आलम साथ चला,हम धूल उड़ाते जहाँ चले।आए बनकर उल्लास अभी,आँसू बनकर बह चले अभी,सब कहते ही रह गए, अरे,तुम कैसे आए, कहाँ चले?किस ओर चले? यह मत पूछो,चलना है, बस इसलिए चले,जग से उसका कुछ लिए चले,जग को अपना कुछ दिए चले,दो बात कही, दो बात सुनी;कुछ हँसे और फिर कुछ रोए।छककर सुख-दु:ख के घूँटों कोहम एक भाव से पिए चले।हम भिखमंगों की दुनिया में,स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले,हम एक निसानी-सी उर पर,ले असफलता का भार चले।अब अपना और पराया क्या?आबाद रहें रुकने वाले!हम स्वयं बँधे थे और स्वयंहम अपने बंधन तोड़ चले।

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