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Pehli Pension | Anamika
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पहली पेंशन /अनामिकाश्रीमती कार्लेकरअपनी पहली पेंशन लेकरजब घर लौटीं–सारी निलम्बित इच्छाएँअपना दावा पेश करने लगीं।जहाँ जो भी टोकरी उठाईउसके नीचे छोटी चुहियों-सीदबी-पड़ी दीख गई कितनी इच्छाएँ!श्रीमती कार्लेकर उलझन में पड़ींक्या-क्या ख़रीदें, किससे कैसे निपटें !सूझा नहीं कुछ तो झाड़न उठाईंझाड़ आईं सब टोकरियाँ बाहरचूहेदानी में इच्छाएँ फँसाईं(हुलर-मुलर सारी इच्छाएँ)और कहा कार्लेकर साहब से–“चलो ज़रा, गंगा नहा आएँ!”

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