Login to make your Collection, Create Playlists and Favourite Songs

Login / Register
Kaise Bachaunga Apna Prem | Alok Azad
Kaise Bachaunga Apna Prem | Alok Azad

Kaise Bachaunga Apna Prem | Alok Azad

00:02:51
Report
कैसे बचाऊँगा अपना प्रेम | आलोक आज़ाद स्टील का दरवाजागोलियों से छलनी हआ कराहता हैऔर ठीक सामने,तुम चांदनी में नहाए, आँखों में आंसू लिए देखती होहर रात एक अलविदा कहती है।हर दिन एक निरंतर परहेज में तब्दील हुआ जाता हैक्या यह आखिरी बार होगाजब मैं तुम्हारे देह में लिपर्टी स्जिग्धता को महसूस कर रहा हूंऔर तुम्हारे स्पर्श की कस्तूरी में डूब रहा हूंदेखो नाजिस शहर को हमने चुना थावो धीरे- धीरे बमबारी का विकृत कैनवास बन चुका है,जहाँ उम्मीद मोमबत्ती की तरह चमकती हैऔर हमारी- तुम्हारी लड़ाई कहींबारूदों के आसमान में गौरैया सी खो गई है,तुम्हारी गर्दन पर मेरे अधरों का चुंबनअपनी छाप छोड़ने के लिए संघर्ष कर रहा है।मेरी उँगलियों पर तुम्हारे प्यार के निशान हैंलेकिन मेरी समूची देह सत्ता के लिएयुद्ध का नक्शा घोषित की जा चुकी है।और इन सब के बीचतुम्हारी आँखें मेरी स्मृतियों का जंगल है।जिसमे मैं आज भी महए सा खिलने को मचलता हूँ,मैं घोर हताशा मेंतुम्हारे कांधे का तिल चूमना चाहता हूँमैं अनदेखा कर देना चाहता हूपुलिस की सायरन को, हमारी तरफ आते कटीले तारों को,मैं जीना चाहता हूएक क्षणभगुर राहत,मैं तुम्हें छू कर एक उन्मादी,पागल- प्रेमी में बदल जाना चाहता हूँमैं टाल देना चाहता हूँ दुनिया का अनकहा आतंक,मैं जानता हूआकाश धूसर हो रहा है,नदियां सूख रही हैं।शहरो के बढ़ते नाखून से,मेरे कानों में सैलाब की तरह पड़ते विदा- गीतमुझे हर क्षण ख़त्म कर रहे हैंपर फिर भी,मैं कबूल करता हूँ, प्रिये,मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगाहम मिलेंगे किसी दिन, जहां नदी का किनारा होगाजहां तुम अप्रैल की महकती धूप में, गुलमोहर सी मिलोगीजहाँ प्रेम की अफवाह, यूदध के सच से बहुत ताकतवर होगी

Kaise Bachaunga Apna Prem | Alok Azad

View more comments
View All Notifications