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Ghisi Pencil | Raghuvir Sahay
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00:01:48
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घिसी पेंसिल | रघुवीर सहाय फिर रात आ रही है।फिर वक्त आ रहा है।जब नींद दुःख दिन कोसंपूर्ण कर चलेंगेएकांत उपस्थत हो, 'सोने चलो' कहेगाक्या चीज़ दे रही है यह शांति इस घड़ी में ?एकांत या कि बिस्तर या फिर थकान मेरी ?या एक मुड़े कागज़ पर एक घिसी पेंसिलतकिये तले दबाकर जिसको कि सो गया हूँ ?

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