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Dhool | Hemant Deolekar
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00:02:18
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धूल | हेमंत देवलेकर धीरे-धीरे साथ छोड़ने लगते हैं लोगतब उन बेसहारा और यतीम होती चीज़ों कोधूल अपनी पनाह में लेती है।धूल से ज़्यादा करुण और कोई नहींसंसार का सबसे संजीदा अनाथालय धूल चलाती हैकाश हम कभी धूल बन पातेयूं तो मिट्टी के छिलके से ज़्यादा हस्ती उसकी क्यापर उसके छूने से चीज़ें इतिहास होने लगती हैं।समय के साथ गाढ़ी होते जाना -धूल को प्रेम की तरह महान बनाता  हैओह, हम हमेशा उसे झाड़ देते रहे हैं बिना उसका शुक्रिया अदा किए।

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